द्विपक्षीय कुल घुटना प्रतिस्थापन एक ऐसी प्रक्रिया है जो एक ही समय में रोगी के दोनों घुटनों को बदल देती है। दोनों घुटनों में गंभीर गठिया या अन्य स्थितियों वाले रोगियों के लिए इसकी सिफारिश की जाती है, जिससे घुटने के जोड़ को काफी नुकसान हुआ है। इस प्रक्रिया में दोनों घुटनों से क्षतिग्रस्त घुटने के जोड़ों को हटाना और उनके स्थान पर कृत्रिम घुटनों को लगाना शामिल है जिन्हें कृत्रिम अंग कहा जाता है।
सर्जरी के बाद, रोगी को कुछ हफ्तों तक बैसाखी या वॉकर का उपयोग करना होगा, और ताकत और गतिशीलता वापस पाने के लिए भौतिक चिकित्सा की सलाह दी जाएगी। किसी भी दर्द और परेशानी को प्रबंधित करने के लिए कुछ हफ्तों तक दर्द की दवाएं भी दी जा सकती हैं। सर्जरी से दर्द से राहत मिलती है और गति में सुधार होता है, जिससे मरीज को तीन से छह सप्ताह में सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू करने की अनुमति मिलती है।
चूंकि घुटने का प्रतिस्थापन एक प्रमुख सर्जरी है, इसलिए संक्रमण, रक्त के थक्के, तंत्रिका क्षति और कृत्रिम जोड़ की विफलता जैसी जटिलताएं संभव हैं। इसलिए, निर्णय लेने से पहले डॉक्टर के साथ प्रक्रिया के जोखिमों और लाभों पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है।
महाराष्ट्र की श्रीमती सुगंधा सुभाष ने वरिष्ठ सलाहकार आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. वेणुथुरला राम मोहन रेड्डी की देखरेख में हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में द्विपक्षीय कुल घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी सफलतापूर्वक की।